अपना संस्थान

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वर्ष 2015 (वि.सं.2072) में झांसी में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल की बैठक में पर्यावरण संरक्षण और संवर्द्धन पर पारित प्रस्ताव की क्रियान्विति में संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी के राजस्थान प्रवास के दौरान सामाजिक सरोकार हेतु कुछ कार्य करना चाहिए, इसी प्रेरणा को ध्यान में रखकर 3 जनवरी 2016 को अपना संस्थान की स्थापना की गई।
जोधपुर के समीप खेजड़ली ग्राम में सन् 1730 में अमृतादेवी विश्नोई व उनकी तीन बेटियों सहित 363 लोगों द्वारा वृक्षों को बचाने के लिये किया गया बलिदान (सिर साठे रूख रहे तो भी सस्तो जाण) पर्यावरण संरक्षण का एक अद्भुत, अनुपम व प्रेरक उदाहरण है, उनकी स्मृति में ही संस्थान का नाम 'अमृतादेवी पर्यावरण नागरिक संस्थान' (अपना संस्थान) रखा गया है।
संस्थान वर्ष 2016 से राजस्थान में क्रियाशील है। प्रदेश में अब तक (2024) लगभग 1.66 करोड़ पौधे  लगाए जा चुके हैं| 1300 से अधिक स्थानों पर सघन वन विकसित किए जाने के साथ ही लगभग 3500 केन्द्रों पर जल संरक्षण के कार्य भी प्रगति पर है।
सामाजिक सरोकार और जन जागृति के लिये संस्थान द्वारा समय समय पर विभिन्न कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। इसी क्रम में भीलवाड़ा में भारतीय नववर्ष पर 'अपना नव वर्ष अपना मेला 2018' आयोजित किया गया। तीन दिवसीय इस मेले में 60 सामाजिक संगठनों सहित 50 हजार से अधिक लोगों की सहभागिता रही, साथ ही विभिन्न स्थानों पर पर्यावरण जागरूकता हेतु विषय विशेषज्ञों की संगोष्ठियां का भी आयोजन किया गया।
इस वर्ष जनवरी माह में भीलवाड़ा में ही पांच दिवसीय पर्यावरण मेले हरित संगम-2024 का आयोजन हुआ। इस सुअवसर पर माननीय मुख्यमंत्री श्री भजनलाल जी शर्मा, माननीय उप मुख्यमंत्री श्रीमती दीया कुमारी जी, राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के पूर्व अध्यक्ष श्री आदर्श गोयल जी सहित देश के अनेक ख्यातनाम एवं पद्मश्री सम्मान प्राप्त पर्यावरणविदों का मार्गदर्शन मिला। हरित संगम-2024 में लगभग 1 लाख 70 हजार बन्धुओं, माताओं-बहिनों ने कार्यक्रमों का अवलोकन किया।

हमारा उद्देश्य

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  • जैविक कृषि, वर्षा जल संरक्षण
  • व्यापक पौधारोपण एवं सघन वन
  • पर्यावरण संरक्षण गतिविधि, अनुसंधान एवं संवर्द्धन
  • जल एवं पारिस्थितिकी विश्वविद्यालय की स्थापना करना
  • समस्त प्राकृक्तिक संसाधनों, विशेषतरू पर्यावरण के संरक्षण तथा संवर्द्धन हेतु कार्य करना
  • प्राकृतिक संसाधनों से सम्बंधित प्रौद्योगिकी का प्रचार प्रसार करना
  • आम नागरिकों को जागरूक व प्रोत्साहित करने के लिए समविषयी संगोष्ठियाँ, सेमिनार
  • सम्मेलन, कार्यशालाएँ तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना
  • जन सहयोग से प्रत्यक्ष आधिकाधिक वृक्षारोपण करवाना, जिससे ग्लोबल वॉर्मिंग के दुष्प्रभावों को कम किया जा सके
  • प्राकृतिक जल स्रोतों का संरक्षण करना और जल संरक्षण की विविध तकनीकों को बढ़ावा देना
  • भूमि, जल और वायु को प्रदूषित होने से रोकने के लिए आवश्यक प्रयास करना
  • स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत अभियान को सफल बनाने के लिए जन जागरण करना
  • हानिकारक प्लास्टिक व डिस्पोजल सामग्री का उपयोग नहीं करने हेतु प्रेरित करना
  • वातावरण को शुद्ध करने और ओजोन परत की सुरक्षा के लिए यज्ञ हवन आदि का आयोजन करना
  • हानिकारक रासायनिक खाद व कीटनाशकों के प्रयोग को कम/बन्द कर जैविक कृषि व सामाजिक वानिकी (गैर-सरकारी वन का विकास), कृषि वानिकी, चारागाह संरक्षण आदि को प्रोत्साहित करना
  • पारम्परिक व गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के विस्तार हेतु सभी आवश्यक प्रयास करना ताकि प्रकृति प्रदत्त संसाधनों का जनहितार्थ समुचित व्यापक उपयोग किया जा सके
  • औषधि, फल पुष्य युक्त पौधों, वृक्षों का जन सहयोग से अधिकतम रोपण, संरक्षण एवं विस्तार करना
  • उपरोक्त समस्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सरकारी, गैर-सरकारी संस्थाओं व आमजन से समस्त प्रकार से सहयोग प्राप्त करना
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प्रकृति से संस्कृति की ओर हमारा उद्देश्य
ग्रामीण भारत में प्रकृति संरक्षण के जरिए सांस्कृतिक जागरूकता
और सहभागिता को बढ़ावा देना है।

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300 ट्री सेंटर, ब्लॉक A, राजस्थान, भारत

ईमेल: info@amritadevi.org

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